Sunday 29 November, 2009

मेरे प्यारे मोहन,नीलमणि



मेरे प्यारे मोहन,नीलमणि
नीलम जडित मुकट सीस पे हैं सोहे
मकराकृत कुंडल झूल रहे हैं कानो में
उसपे यह तेरी प्यारी लट
कर रही शायद कुछ यह भी अदाएँ हैं
बड़े भाग्य हैं इन तेरी मतवाली लटों के
जो तेरा संग हर दम पाती हैं
होके दीवानी यह तेरी
तुझे पाने को आपस में ही उलझी जाती हैं
हवा के हर आते जाते झोंके से
जैसे इनकी उमंगें तरंगें बढती जाती हैं
तभी तो उड़ उड़ कर
गालो को श्याम तेरे सहलाती हैं
अब तुम ही बताओ इन्सा भाग्य किसी का होना हैं
यह तेरी प्यारी लटें तो बस
तेरी दीवानी हुई फिरती हैं
हमरे साथ भी मोहन करो ना कुछ बात
आ जाएँ तांकि इस बेचैन हृदय को करार

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