Sunday 8 November, 2009

मेरी श्यामसुन्दर से लगी यारी



मेरी श्यामसुन्दर से लगी यारी
श्यामसुन्दर से मेरी प्रीत पुराणी
दिन में आवे न तनिक चैन
रातो को सतावे तेरे मीठे बैन
क्या कहू मै कान्हा
आँखों से ओझल हुई हैं नींद
मन मे बसी हैं तेरी मूरत सुहानी
आ जा श्यामसुन्दर बुलाते हैं तेरे मीत
आ जा प्यारे सुना जा फिर कोई प्यारा सा गीत
दे जा दरस तू अपने
बना जा अपना जरा साँवरिया

No comments: