Tuesday 2 February, 2010



ओह मेरे बाँके बिहारी मेरे गिरिवरधारी
करू कैसे मै वन्दन तुम्हारा
कैसे तुझे मैं रिझाऊ,कैसे तुझे मैं मनाऊ
कैसे होगा मिलन तुमसे हमारा
ओह वृन्दावन बिहारी मानो इक बात हमारी
मोहे तुम कृपा कर धूल का इक कण बना दो
मुझे निधिवन जी में बसा लो
नित्य करती रहू दर्शन तुम्हारा
हर पल गाऊ मै बस इक नाम तुम्हारा
तुमसे ही बस रहे काम हमारा
करू कैसे मैं वन्दन तुम्हारा

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