Thursday 4 February, 2010



ओह कृष्ण ओह मेरे प्यारे,
करुनासिंधु तुम ही पालनहारे
छेडू मैं तो दिल की रागिनिया
सुनाओ तुम भी तान मतवाली
तुम बजाना धुन बंसी की
मैं आऊँगी भागी भागी
ओह मेरे सांवरिया,ओह मेरे रसिया
सुन लो सुन लो अब तो टेर हमारी
अब के आना होरी में,खेलेंगे जम के होरी
होगी याद तुम्हारी रसिया,जल होगा आँखों का मेरा
रंग जाना मोहे अपने रंग में,देखती रह जाए दुनिया सारी
आ जाना साँवरिया प्यारे,रहेगी हर पल आने की आस तुम्हारी

No comments: