Wednesday 24 February, 2010


हे मेरे माधव,हे मेरे मुरारी,करुना के पुँज,दयासागर,दीनहितकारी
बृजराज कन्हैया, माखनचोर, मधुसूदन, मेरे बनवारी
शोभा तेरी बरनी न जाए,आँख हटे न तुझसे मेरे बनवारी
चरण कमलो में तेरे नुपुर सोहावे,
तेरे नुपुर के घुंघरू संग राधा जू के नाचे
लाल गुलाबी चरण तेरे,इन चरणों पे बलिहार हैं जग सारा
यह चरण बृज में घूमत फिरत,लुटावे प्यार अपना सारा
गोपीया इन चरणों की धूल की प्यासी
जहा जहा जाए कन्हैया पाछे भागे गोपिया सारी
जहा मिल जाए चरण रज तेरी वहा ही बैठ जाए गोपिकाएं सारी
इन चरणों की तो शोभा कही न जाए
सारे शब्द मिलकर भी इन चरणों की शोभा में एक न बन पाए
यह तेरे चरण ओ कान्हा,बड़े मनोहारी हैं
ओ कान्हा हम इन चरणों में ही खोये रहे बस
यही विनती हमारी हैं

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