Monday 22 February, 2010



तेरी छवि पे मैं बलिहारी
तेरी हर अदा लगे मोहे प्यारी
तेरी मधुर मधुर बातें मधुसूदन
हैं सारे जग से न्यारी
तेरे नाम में ही सारी ख़ुशी
आनंद हैं आनन्दकंद बनवारी
तुझ में ही सच्चा आनन्द
तू ही प्रेम तू ही श्याम
तू ही सच्चिदानंद घनश्याम
अब के खेलेंगे तो संग फाग
फाग खेलन आना मो संग श्याम
हरि दरबार में मचेगी बड़ी धूम
हम तो खेरेंगे तो संग होरी झूम झूम

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