Friday 5 February, 2010



मनमोहन प्यारे क्यों अखिया मीचे बैठा हैं
अब तो देख इक नजर इधर ओह कन्हाई
कब से खड़ी हू आकर तेरे द्वार
लगी हैं तेरे मिलन की आस
रो रो के तुझको रिझाऊ
तेरे लिए मुस्कुराऊ,तुझे गा गा कर रिझाऊ
अब तो खोल दे बंद किवाड़
नही रहा जाता अब बिन तेरा नाम गाये
अब तो कर दे कृपा की इक नजर ओह श्याम

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