Saturday 6 February, 2010



क्या कहू शोभा तेरी ओह साँवरे
पडे जो नजर तुझपे तो हटाने का दिल न करें
देखू जो चरण तेरे साँवरे
तो नजरे उठाई न जाए
जो देखू सूरत तेरी प्यारी
तो हाय!साँवरे यह नजरे झुकाई न जाए
गर मिल जाए जो नजरो से नजरे तो
साँवरे क्या कहें तुम्हें
पलकें झुकाना भी कष्टदाई नजर आये
तेरी मोहिनी मूरत पे फ़िदा सब संसार हैं
करो दया की जो नजर मेरे साँवरे
हमे भी बनाओ अपना पागल
इक बार फिर झांझर झनकाओ मेरे साँवरे
इस पगली को दर्शन दे जाओ मेरे साँवरे

No comments: