Friday 26 February, 2010


ओह मेरे मोहन
तुझसे बहुत सी बातें करने को मन चाहता हैं
तेरे रास मण्डल में शामिल होने को जी चाहता हैं
तेरी सुन प्यारी बंसी की तान
आज फिर थिरकने को जी चाहता हैं
तेरे चरण कमलो में पड़े पुष्पों को छूने का जी चाहता हैं
तेरी प्यारी प्यारी बातो को सुनने को जी चाहता हैं
तेरे संग होरी खेलन का जी चाहता हैं
तुम पे प्रेम पुष्प वर्षा करने को जी चाहता हैं
पर जब सामने तुम आते हो, नजाने क्या हो जाता हैं
जी सब चाहता हैं,पर सब भूल जाता हैं
कुछ भी कहने करने के असमर्थ हो जाती हु
बस तुझसे निगाह न हटे,यही दिल चाहता हैं

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