Saturday 1 August, 2009

कृष्ण प्यारे!



कृष्णा प्यारे!मुरली मनोहर नन्द दुलारे
हे बृज कुँवर! बृजराज हमारे
दया हमपे भी कीजो
इक मुरली की तान सुना दीजो
बाँके बिहारी हमे अपना बना लीजो
इस दासी को वृन्दावन बुला लीजो
हे कृष्ण मुरारी हे बाँके बिहारी
हमे अपने दरस करा दीजो
हमे अपने चरणन में जगह दीजो
हमे अपना बना लीजो

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