Monday 10 August, 2009

बैठी हु तुम्हे लिखने ख़त मेरे श्याम



बैठी हूँ तुम्हे लिखने ख़त मेरे श्याम
आवे न समझ में कुछ भी
कहू क्या मैं तोसे
क्या करू विनय तुमसे मुरार
बैठी हूँ लिखने ख़त मेरे श्याम
तेरी मुरली मन को चुरावे
हरे बांस की पोरी दिल लुट ले जावे
आँसू करे मेरे तेरा इंतज़ार
आजा वे श्याम आजा वे श्याम
बैठी हु लिखने तुम्हे ख़त मेरे श्याम
खता की होगी कई बार मैंने
मेरी हर खता को करना नजरअंदाज
मैं आई तेरे द्वारे ले दर्शन की प्यास
इस पिपासु की पिपासा कुछ तो मिटाओ
मुझे श्याम अपने दरस तो दिखाओ
अथाह प्रेम के समुन्द्र हो
इस समुन्द्र की इक बूँद ही पिलाओ
श्याम मेरे आ जाओ श्याम मेरे आ जाओ
बैठी हू तुम्हे लिखने ख़त मेरे श्याम

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