Tuesday 11 August, 2009

मन मेरा करता हैं मोहन



मन मेरा करता हैं मोहन
बिना पर उड़ जाऊ मैं
उड़ के पास तेरे पहुँच जाऊ मैं
वृन्दावन में जा डालू डेरा
तेरी मुरली की तान में खो जाऊ मैं
बिना पर उड़ तेरे पास पहुँच जाऊ मैं
पता हैं के तू पास हैं मेरे हरदम
हर शय में तेरा ही रहन बसेरा हैं
होता हैं एहसास भी तेरा
पर इस दिल को कैसे समझाऊ
तेरे दरस को लोचते लोचन को क्या बताऊ
आ जाओ श्याम न अब तरसाओ
नैना बाँवरे भये दरस प्यास बुझाओ
कोई मुरली की टेर सुनाओ
श्याम मेरे आ जाओ

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