Thursday 6 August, 2009

हे कृष्ण



हे कृष्णा मुरारी कृपासिन्धु मेरे बनवारी
कब से हूँ बैठी राह लगाये
अखियाँ अपनी रास्ते पे जमाये
के श्याम आयेंगे
सुन्दर सुघर सलोना रूप दिखायेंगे
नील मणि नील वर्ण में अपने दरस करवाएंगे
नीले वर्ण पे सफ़ेद मोतियाँ माल होगी
कान्हा के सिर पे सजा मयूर पंखा होगा
होंठो से लगी प्यारी मुरली होगी
मुरली से बज रहे होंगे मीठे राग
सुनाएगी हमे कान्हा की मुरली
मनभावन बंसी की तान
श्याम सलोने आ जाओ
न इतना हमे तड़पाओ

No comments: