Sunday 23 August, 2009
नयना नन्दलाल के
नयना नन्दलाल के नेह बरसाते हैं
फिर ऐसा क्या दोष हम में
जो इस प्रेम से हम अछूते रह जाते हैं
कर दो दया की नजर ओह मुरारी
कब से अखिया हैं प्यासी
मोहन हुई होगी कोई भूल हमसे भारी
जो तरस रही हैं अखिया
कब से हे दरस की प्यासी
मोहन भूल हमारी कृपा कर भुला देना
हमे दरस अपने दिखा देना
गर कहे के आगे हम कोई अपराध न करेंगे
तो मोहन इसका भी पता हमे क्या हैं?
हम तो नित नया अपराध करते जाते हैं
और हर रोज़ तुम्हे
अपने अपराधो को भूलाने को कहते जाते हैं
और तुम हर बार हमे अपना बनाते हो
मोहन मेरे मुरारी प्रेम की एक बूँद पिला दो
हमे चरणों से अपने लगा लो
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