Monday 24 August, 2009
हम खता पे खता किए जा रहे
हे कृष्णा.......................
इक हम हैं जो खता पे खता किये जा रहे
और इक तुम हो जो रहमत की नजर किये जा रहे
हम गुनाहगार हैं गुनाह पे गुनाह किये जा रहे
तुम दयावान हो दया पे दया किये जा रहे
हम रोज़ ही नया कोई अपराध किये जा रहे
और तुम मोहन मेरे अपराधो को क्षमा किये जा रहे
तेरी दया का न कोई पार हैं मोहन
तेरी दया पे हम जिए जा रहे
तेरे बिन न रह पायेंगे हम कहे जा रहे
फिर पता नही कैसे बिन तेरे रहे जा रहे
तुझे देखू तो इक टक देखे जा रहे
तेरे दरस की आस में जिए जा रहे
तुम आओगे इक दिन मुरारी
इसी आस में पल कटे जा रहे
तेरी रहमत की नजर हैं मोहन
तेरी रहमत के सदके हम
तुझे याद किये जा रहे
मन में तेरे आने की आस किये जा रहे
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment