Monday 1 June, 2009
नजारा
अधभुत तेरा नजारा हैं
अलोकिक छवि बड़ी प्यारी हैं
सिर पे पटका गहरा गुलाबी
कर में प्यारी मुरली साजी
मोर पंख लेता हिलोर हैं
कानो के कुण्डल
केसुओं में उलझ लिपट
चूम रहे तेरे गाल हैं
तेरी आँखों ने पिलाये
मोहे मस्ती के जाम हैं
आये मेरे श्याम सरकार हैं
कभी बनाये रूप राधा महारानी का
कभी छीन ले दिल-ए- करार
धर के वेश बनवारी का
तेरी मूरत सूरत लुभानी लागे
लूट लिया हमे
और कर दिया मालामाल हैं
आँधी,तूफ़ान,बरसात लाये थे संग सरकार
डरने वाले भाग गए
प्यासों की प्यास और बड़ा दी
तूने ओ मेरे श्याम रे
करू वर्णन कैसे उस आनन्द का श्याम रे
तू ही तो हैं परमधाम रे
तेरे रूप को कैसे दिखाऊ शबदों में साँवरिया
आता नहीं मोहे कुछ याद तेरे सिवा ओह मन भावनिया
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