Tuesday 9 June, 2009

आँखें



दिल करें तुम्हे आँखों मैं बसा लू
तुम्हे आँखों मैं बसा के पलकें झुका लूँ
फिर मन करता हैं के रुक जाऊँ अभी
कहीं आँखों मैं आ गए आंसू
तो कही तुम उस में भीग न जाओ
कहीं यह आंसू हमारे तुम्हे कोई तकलीफ न दे
फिर मन करता हैं के भीग जाने दूँ
तुमने ही तो इन नैनो को रुलाया हैं
यह भी तो हर पल
तुम्हे अपने में समाने को बेठी हैं
कुछ समज नहीं आता
के निहारती रहू तुम्हे हर पल
बस तेरा दर्शन चाहू हर पल

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