Saturday 27 June, 2009

आ जाओ ना



ओह!साँवरे घनशयाम
मुरली अधरन पे धर
तुम यूँ मुस्कुराते हो
और हमारी आँखों से
शम शम नीर बहाते हो
नैनन में डाल काजल
काजल को भी धन्य बनाते हो
मुकुट पे लगा मयूर पंख
मयूर को भी अपना बनाते हो
होंठों से सपर्श करवा के वंशी
इसे अपने करीब ले जाते हो
हमे अपना बनाओ ना
मोहन,मेरे बनवारी,
राधा रमण,बाँके बिहारी
आ जाओ ना!आ जाओ

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