Sunday 14 June, 2009

कौन था वो?कहीं तुम तो नही आए



हर पल चाहू तुझे ओह श्याम
करूं हर पल तेरा ही इंतज़ार
जाने क्यों लगे आज ऐसा बार बार
के तू आया और आके चला गया
और मुझ भोली को अपनी चाल दिखा गया
चालबाज कान्हा छल गया रसिया
दे गया हमे फिर से छलावा
लगा आज कुछ ऐसे के तू आया
काली कमली ओडे हुए
मुह में पान का बीडा दबाते हुए
नजरो से हमारी नजरे मिलाते हुए
साँवरे भेष में शायद कहीं तू आया
मैं चाहती रही के तेरे चरणों से लिपट जाऊँ
मगर तेरी इजाजत न थी शायद
हे कान्हा मोरे चितचोर
मेरे प्रियेतम मेरी सरकार
मोहे अपने मोर मुकुट वाले
घोओंग्राली लत वाले दरस करा
अपनी मुरली की तान सुना
तेरी इछा के अनुरूप
तू चाहे जिस भी रूप में आ
मगर हमे अपने चरण स्पर्श का भाग्य दिला
हमे अपनी मोहिनी मुस्कान से लूट ले जा
हमे अपने संग ले जा
श्याम ऐसे मेरा दिल न जलाया करो
मेरे करीब आकर पल में दूर न जाया करो

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