Thursday 25 June, 2009

आस और प्यास



कान्हा प्यारे दिल-ओ-जान हमारे
ब्रिज के राज दुलारे,राधे के प्राण प्यारे
बस जाओ मम् आत्मा में प्यारे
बस रोम रोम हर समय तेरा ही नाम पुकारे
कहे हर समय नाथ मेरे आ जाओ
मुझे अपने दरस दिखा जाओ
मोहे तेरे दरस की आस
मुझे तेरे दर्शन की प्यास
प्यासों की हर प्यास बुझाने वाले
मेरी प्यास का भी करो कोई इलाज
मगर इतनी विनती भी करना सवीकार
यह प्यास पूरी होकर भी रहे बरकरार
हर पल यह प्यास बढती जाए
तेरे मिलन की आस बढती जाए
तेरे नाम का रस धारा चढ़ती जाए
हर पल तेरी नाम खुमारी चढ़ती जाए
मैं हर पल तुझे मनाती जाऊँ

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