Friday 29 May, 2009

तुम बिन


मेरे साँवरिया घनशयाम रे
कैसे बताऊ तोहे तू ही मेरा दिलदार रे
तुझ बिन कुछ भाए न मोहे
तुझ बिन न कुछ सुहाए
तेरे बिन पगली हो फिरू
सुनती हूँ सबके ताने
आ जा इक वारी मेरे नन्दलाल रे
सुन रखी हैं बहुत तारीफ तेरी
चर्चे बहुत सुने तेरे हुस्न के
इक वारी अपना हुस्न हमे भी तो दिखा
चाहे हमारी कोई भी बात मान
बस एक बार अपने चरणों से लगा
हमे अपने निकट अपने पास बुला
हमे भी तुमसे बातें करने का अवसर दिला
हमे भी अपनी नुपुर की रुनझुन सुना
कोई प्यारी मुरली की तान सुना
आ जा अब आ जा कान्हा
अब तो वक़्त कटता नहीं काटे से
हर पल तेरे आने का एहसास कराता हैं
जाने किस पल आ जाए तू
इस बात से भी हिये मेरा घबराता हैं
अब तो बस तू आ जा
अपने प्यारे प्यारे दरस दिखा जा

No comments: