Monday 25 May, 2009

कैसे?



कैसे तेरी बातों को समझ पाऊँगी श्याम
कैसे समझू तेरे इशारे
कैसे पुकारू तोहे श्याम
कैसे होंगे दरस तुम्हारे
आके बता जाओ इक वार
देते हैं सब ताने
सब अपनी अपनी बात मनवाए
मगर तेरे बिन कोई न मोहे समझ पाए
सब की होती होगी कोई बात निराली
मगर मेरी सांवली सरकार
सब निरालो से निराली
अद्भुत छवी हे इसकी प्यारी
देख ले जो इक वार
तो लुट जाए दुनिया सारी
इस छवी पे सारा जहाँ बलिहार
करता हैं कृष्णा तेरा गुणगान
वो अद्भुत छवी निराली
मोर मुकुट धारी
मुरलीधर कृष्णमुरारी
हमे उस छव के दरस करवाओ
हमे भी तो प्यारी मुरली की तान सुनाओ

No comments: