Tuesday 12 May, 2009

छवी तेरी सांवरे


छवि तेरी एक मन में बना रखी हैं
जाने कैसे यह मन में समा रखी हैं
सुंदर अलकावली तेरे गालो को चूमती हैं
यह कुंडल भी हिलोर ले ले तुझे चूम जाते हैं
मोर मुकुट सीस पे विराजा हैं
तिलक की शोभा तुम्हारे भाल ने बढा रखी हैं
तेरे दोउ सुंदर नैना कमलनैन
बाँवरे हमे बना बेठे हैं
इन नैनो में डूब जाना चाहते हैं
और इस सागर से
कभी बाहर ना आना चाहते हैं
तेरी पलकें प्यारी बड़ी मनभावन हैं
नासिका और कपोलो ने तो
लूटा तेरे दीवानों को
होंठो पे फैली एक प्यारी सी मुस्कान हैं
जिसके साथ साथ बज रही बंसी की तान है
कर्ण प्यारे घुनग्राली लटे चूम रही श्रृंगार को तेरे
मेरे नैना तोसे मिलन की आस लगाये हैं
मेरा दिल तोहे हृदय सिंघासन पे बिठाये हैं
श्याम मोरे आ जा
यमुना के तट पे बंसी तो बजा जा
श्याम मोरे आ जा

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