कृष्णा कन्हैया साँवरे
मुरली बजैया घनशयाम रे
आना चित चुराना मेरा श्याम रे
बंसी वट पे बेठ दीवाना बनाना
मोहे मेरे श्याम रे
कृष्णा कन्हैया साँवरे
मुरली बजैया घनशयाम रे
अधर सुधा रस पिलाना मेरे श्याम रे
नैनन से मोहे दीवाना बनाना
मुरली की धुन पर मोहे नचाना
अपना मोर मुकुट वाला रूप दिखाना श्याम रे
अपना मोरो जैसा नृत्य दिखाना
हर पल मोहे अपनी पगली बनाना
दीवानों जैसा हाल बनाना
मेरा सब कुछ तो लूटा तूने
अब अपने दरस तो दिखाना श्याम रे
Tuesday 19 May, 2009
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