Tuesday 19 May, 2009

कृष्णा कन्हैया साँवरे
मुरली बजैया घनशयाम रे
आना चित चुराना मेरा श्याम रे
बंसी वट पे बेठ दीवाना बनाना
मोहे मेरे श्याम रे
कृष्णा कन्हैया साँवरे
मुरली बजैया घनशयाम रे
अधर सुधा रस पिलाना मेरे श्याम रे
नैनन से मोहे दीवाना बनाना
मुरली की धुन पर मोहे नचाना
अपना मोर मुकुट वाला रूप दिखाना श्याम रे
अपना मोरो जैसा नृत्य दिखाना
हर पल मोहे अपनी पगली बनाना
दीवानों जैसा हाल बनाना
मेरा सब कुछ तो लूटा तूने
अब अपने दरस तो दिखाना श्याम रे

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