Friday 8 May, 2009


तेरी यादें मोहे बड़ा सताती हैं मोहन!
तेरी यादें हर पल मोहे रुलाती हैं मोहन!
क्या करू मैं मोहन
लाख कोशिश के बाद भी यह आंसू आ ही जाते हैं
और आकर बड़ा ही सताते हैं
बता ना मोहन कब तक मैं यूँ
बता ना कब तक यूँ छिप छिप नीर बहाती रहूंगी
कब तक तेरी यादों में खुद को तडपाती रहूंगी
मोहना मोहे वृन्दावन के वृक्ष का एक पत्ता ही बना दे ना
फिर उसे वृन्दावन की रज में मिला देना
उस धरा पे आ बनवारी
बांसुरी की धुन तो मोहे सुना देना
श्याम मेरे आ जाना
देर ना लगाना ना ही बहुत जल्दी आना
जो तुम ना आओगे तो यह आंसू बहते रहेंगे
यह दिल हर पल तोहे चाहता रहेगा
तोहे ही याद करेगा तेरा ही हैं
तेरा ही बन जायेगा

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