Tuesday 5 May, 2009
कृष्ण मेरे श्यामसुंदर मेरे कन्हैया
कृष्णा मेरे श्यामसुंदर मेरे कन्हैया
तुम्हारी याद बहुत आती हैं
मुझे बहुत रुलाती हैं
खुद ही हसाती हैं
पागलो सा व्यवहार हो गया हैं मेरा
कभी तेरी यादों में आंसू छलक जाते हैं
कभी होंठ मंद मंद मुस्काते हैं
ओह जादू भरे श्याम
आ जाओ न कोई तो बहाना बनाओ
कैसे भी कर के श्याम
अपने दरस दिखाने आओ
अपनी प्यारी सी मुस्कनिया बिखराओ
अपने नैनों से इस भू मंडल को मस्त बनाओ
अपनी मधुर बंसी की कोई प्यारी
मदभरी रसीली तान सुनाओ
हमे अपने नित दर्शन करवाओ
चाहे हमे जो भी जैसे भी बनाओ
बस श्यामसुंदर अब चले आओ
मेरे हृदय में आकर के बस जाओ
मेरे श्यामसुंदर आ जाओ
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