Saturday 9 May, 2009

क्या कहूँ मैं तोसे


क्या कहूँ में तोसे
करूँ कैसे तेरा मैं वर्णन
तुझ बिन कुछ अछा लगता नहीं
तू पास न हो तो जी मेरा लगता नहीं
हर बात में तेरी बात ढूँढती हूँ
हर शय में अक्स तेरा चाहती हूँ
वर्णन तेरे को अल्फाज नहीं
मगर फिर भी गुस्ताखी करती हूँ
रोक न पाती हूँ खुद को
जब भी अकेला पाती हूँ
बातें करने तुझसे तेरे पास दोडी आती हूँ
क्या कहूँ में तोसे
तुम बिन क्यों दिल लगता नहीं
क्यों तेरी यादों में खो जाती हूँ
क्यों हर समय हर पल
तेरे ख्याल तेरी तम्मन्ना
मस्त बनाती हैं मोहे
कुछ तो बता दे मोहन
हमे अपना बना ले मोहन

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