Friday 1 May, 2009

लगन



लगन तुमसे लगा बेठी हूँ
दिल अपना गवा बेठी हूँ
सर्वस्व तुझी पे लुटा बेठी हूँ
हर हाल में मोहन
नाता तुझसे लगा बेठी हूँ
तुझसे ही दोस्ती मेरी
तुझीसे सारे नाते हैं
पहले तू हैं मेरे प्यारे
बाद में बाकी सारे हैं
जाने क्यों मुझे
तुमपे इतना प्यार आता हैं
हर क्षण कान्हा तू मुझे याद आता हैं
तू साथ साथ हैं मेरे
फिर भी तेरे ख्यालों से बाहर आती नहीं हूँ
तेरी यादों के सिवा कुछ जी चाहता नहीं हैं
हर समय तेरी बंदगी को जी चाहता हैं
तुझसे बातें करू तुझे निहारु तुझे पुकारू
ऐसा मेरा मन चाहता हैं
तू अब आ जा नीलमणि
कोई प्यारी सी धुन सुना जा
मोहे पिया अपने में समा जा

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