Sunday 17 May, 2009

केसू श्यामसुंदर के

कृष्णा जीवनधन हमारे
हमारे प्राणों से प्रिये प्राण प्यारे
अजब छटा तेरी छाई हुई हैं
नभ पे घटा से आई हुई हैं
इन घटाओं की ओट से
काले काले घुंगराले केसू तेरे लहराते हैं
लहर लहर बहती पवन के संग
पागल हमे बनाये हुए हैं
तेरे केसुओं के जाल में
फसने के लिए हम कतार लगाये हुए हैं
तेरे मुख को चूम चूम कर यह
दीवाने इन केसुओं के हमे बनाये हुए हैं
दीवानों के दीवानगी को यह और बढाये हुए हैं
और श्यामसुंदर .......
तुम भी तो इन्हें अपने सिर पर बिठाय हुए हो
तभी तो यह इतना इतराते हैं
हवा के हर झोंके के संग इठलाते हैं
उड़ उड़ कर तेरे मुख पर आते हैं
ऐ श्याम हमे भी इन केसुओं में शामिल कर लो
हमे भी अपना कर लो

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