Monday 11 May, 2009
आज मन हैं
कान्हा आज मन है
तेरे नने नन्ने पाँव
में बंधे घुन्गरुओं की
झंकार सुनने का
कान्हा आज मन हैं
तेरे वो कोमल हाथों में
पकड़ी बांसुरी की तान सुनने का
कान्हा आज मन है
तेरी वो नाजुक कलाइयों में
पडे कंगन की खनकार सुनने का
कान्हा आज मन है
अपने दिल की हर धड़कन को सुनने का
और तुझ में खुद को लीन करने का
कान्हा आज मन है
आ जाओ एक बार ही दर्शन दे जाओ
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