ओह साँवरे गिरधारी
कौन सी भूल हुई हमसे भारी
जो तू यूँ रूठ बेठा हैं
क्या अपराध किया हमने ?
जो तू हमे भूल बेठा हैं
बता ना श्यामसुंदर
एक दर्शन की ही बात हैं न
क्यों नैनो से नीर बहाता हैं
तेरे दर्शन की प्यास तुने ही तो लगाई थी
फिर हमसे यूँ रुसवाई क्यों
क्यों नहीं आते हो तुम
हां आते हो मान लेती हूँ
मगर सामने होकर भी छिपे रहते हो
यह नैना क्यों दिए तुने ओह श्याम
बेकार हैं यह श्याम
अगर तू इन्हे अपने दरस नहीं देता
यह दो नैना कहा सक्षम होंगे तेरे दर्शन के लिए
श्यामसुंदर आ जाओ ना
अब कुछ कहा नहीं जाता हैं
मेरे दिल का हाल तुम जानते हो
क्यों कर इतना तड़पाते हो
Wednesday 13 May, 2009
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