Saturday 16 May, 2009

श्यामसुंदर झर झर नीर बहाए अखिया
हर पल तुझे बुलाएँ
रह रह कर मोहन तुम्हारा ध्यान आये
कभी तेरी बांसुरी की धुन सताती हैं
तो कभी तेरी मुस्कान पागल बनाती हैं
कभी जलन होने लगती हैं
तेरी इन घुनग्राली लटो से
जो बार बार तेरे गालो को आ छूती हैं
कभी इन आँखों मैं डूबने को मन करता हैं
तो कभी तेरी बंसी की धुन बनने को मन करता हैं
तू कहा हैं रे श्याम कब तक करवाएगा इंतज़ार
आ जा ना मोहे कृष्णमय बना जा न
ना मोहे दिन का रहे ध्यान
न हो रात का ख्याल
कब ढली शाम कब हुआ सवेरा
कुछ भी रहे न ध्यान
सिर्फ रहे इक तेरा ही ख्याल
हर पल तेरा ही नाम गाती रहू
हर पल तुझे ही याद करती रहूँ
श्याम मेरे आ जा ना

No comments: