श्यामसुंदर झर झर नीर बहाए अखिया
हर पल तुझे बुलाएँ
रह रह कर मोहन तुम्हारा ध्यान आये
कभी तेरी बांसुरी की धुन सताती हैं
तो कभी तेरी मुस्कान पागल बनाती हैं
कभी जलन होने लगती हैं
तेरी इन घुनग्राली लटो से
जो बार बार तेरे गालो को आ छूती हैं
कभी इन आँखों मैं डूबने को मन करता हैं
तो कभी तेरी बंसी की धुन बनने को मन करता हैं
तू कहा हैं रे श्याम कब तक करवाएगा इंतज़ार
आ जा ना मोहे कृष्णमय बना जा न
ना मोहे दिन का रहे ध्यान
न हो रात का ख्याल
कब ढली शाम कब हुआ सवेरा
कुछ भी रहे न ध्यान
सिर्फ रहे इक तेरा ही ख्याल
हर पल तेरा ही नाम गाती रहू
हर पल तुझे ही याद करती रहूँ
श्याम मेरे आ जा ना
Saturday 16 May, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment