Wednesday 15 July, 2009

मोहन!



मोहन!
सुन मोहन मोहिनी मुरली की तान सुना जा
इस मुरली को अधरों से लगा न
मोहन इस मोहिनी मुरली को
तू एक बार फिर अधरामृत पिला न
श्याम इन श्याम बादलो के बीच से
तू कही से आ जा na
इस दमकती दामिनी में
तू अपनी मधुर मुस्कराहट दिखा जा न
इस मंद मंद चलती रसीली पवन में
तू अपनी बंसी के राग सुना जा
अपनी प्यारी सी खुशबू महका जा
मैं भी क्या अजीब हूँ श्याम
इन सबमे तो तू पहले सी हैं समाया
तुने तो बस मुझे ही अपना दरस नही दिखाया
मोहन तू कब समक्ष हमारे साकार रूप लेकर आएगा
कब तू मुरली की मदभरी तान सुनाएगा
कब तू आएगा ?

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