Monday 13 July, 2009

बजा दे मुरली मोहन फ़िर एक बार



क्या कहू आपसे अब मोहन
अब तो यह हमारा रोज़ का अफसाना हो गया
तुम्हे अपने पास बुलाना
जैसे रोज़ का काम हमारा हो गया
रोज़ ही आँसू की नदिया बहती हैं
मेरे गिरते अश्रु जल की बूंदे
रोज़ ही तुमसे दर्शन देने को कहती हैं
हृदय भी हमारा रोज़ ही करता पुकार हैं
बुलाता रोज़ ही तुम्हे बारम्बार हैं
धड़कन भी हमारी कर रही विनय पुकार हैं
आ जाओ श्याम आ जाओ श्याम
कह रही बारम्बार हैं
गाती सिर्फ यह तेरे नाम का ही राग हैं
तेरी मुरली की धुन सुनने को बेकरार हैं
सिर्फ धड़कन ही नही
कर्ण भी तरस रहे सुनने को यह नाद
रोम रोम कर रहा हैं तुमसे पुकार
बजा दो मुरली मोहन फिर एक बार

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