Sunday 5 July, 2009
इक बार चले आओ
इक बार चले आओ
आकर दिल में बस जाओ
मोर मुकुट की शोभा अति प्यारी
सर पे पगड़ी,तेरी पगड़ी बड़ी न्यारी
जिसने तेरी जुल्फों को छुआ
वो पगड़ी हैं बड़ी भाग्यवाली
तेरी पगड़ी पे सजी मोतियन माल
जिसने छूए मेरे घनशयाम तेरे बाल
कर रही मैं तेरा इंतज़ार ओह मेरे घनश्याम
तेरे हाथो में सोहे मुरलिया प्यारी
तेरे होंठो पे सजी हैं तान
जिसे सुन सुर नर गन्धर्वो ने
किया नभ मंडल में नाच
तेरे नैना बड़े विशाल करे मुझे बड़ा परेशान
तेरे नैना बड़े सुहाने,मोहे लगते बडे प्यारे
इन नैनो मैं डूब जाऊँ ना मैं घनश्याम
बजा दो फिर मुरली की तान
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