Sunday 12 July, 2009

द्वारका विच रहें वालया



द्वारिका विच रहन वालिया
गोपिया दे प्रेम समुंदर विच वेहेन वालिया
कातो गोपियाँ नु याद विच आपनी रुलौन्दा ए
कातो प्रेम वाली तान बंसी दी न हुन तू सुनौनदा ए
पागल बन बन इधर उधर फिरदिया ने
हर चीज विच श्याम तेनु ही लाभदिया फेरदियाँ ने
क्यों तू एना जुल्म साडे ते दाउन्दा हैं
क्यों नही तू सामने साडे आउंदा ए

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