Wednesday 8 July, 2009

जब तूने बंसी बजाई



सावन ने ली अंगडाई
ओह श्याम!जब तूने बंसी बजायी
आसमान में हैं बदरा छाई
ओह!श्याम जब तूने पलकें उठाई
जब छेडी तूने सप्त्सुरों की तान
चुपके से होले से पवन ने किया तब नाद
देख तेरी मुस्कनिया को
छाई हर देखो बहार
तेरे कारे कारे घून्ग्रालय केसू जब लहराए
आसमान में घनघोर घटाए
घनन घनन करती छाए
जब होंठो की और बडाई तूने मुरली श्याम
मेघ भी करने लगे सुन्दर नाद
जब लगाया मुरली को होंठो से तूने श्याम
जब कराया मुरली को तूने रसिया रसपान
देखो सावन की बूंदे भी
झूम झूम कर गाने लगी सुरीले तान
हाय!अधरामृत पीकर मुरली तो भई निहाल
हमे भी करो रसिया रसराज यह रसपान
दे दो चरणों में जगह मेरे श्याम
बारिश की बूंदे भी करने लगी फुहार
जब तूने बजाई बंसी मेरे श्याम

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