Tuesday 14 July, 2009

कैसे तुम्हे रिझाऊ श्याम?



कैसे तुमको रिझाऊ,किस भावः से तुमको मनाऊ
आता नही हैं मुझे तो कुछ भी
कैसे कोई सुर ताल बनाऊ
मैं तो तेरे चरणों की दासी श्याम
तू ही बता तेरे चरणों को छोड़ कैसे जाऊ
मैं दीवानी तेरी मुरली की धुन की मुरारी
कैसे तेरी धुन को ना सुनूँ
आता नही हैं मुझको कुछ मोहन
तू ही बता कैसे तुझे रिझाऊ
बोल ना कैसे तुम्हे मनाऊ
कैसे तुम्हे मनाऊ के तू
बजाये मुरली फिर इक बार
मीरा ना तुम्हे मनाया
गा कर तेरे लिए संगीत
दीवानी भई हो गयी जोगन
मैं क्या गाऊ,क्या बन जाऊ
मुझे कुछ समाज नही आता हैं
मैं श्याम तुम्हे कैसे मनाऊ
कैसे तुम्हे रिझाऊ
धन्ने का भोलापन तुझे रास आ गया
ठाकुर बन तू उसके पास आ गया
मुझमें भी बना ले तू खुद ही कोई बात
के आ जाऊ मैं तुझ को रास
दे दे तू दर्शन मोहे,बस जाए हृदय में श्याम

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