Friday 3 July, 2009
बैरन बंसी
कृष्णा तुम मेरे प्राण
क्यों बजाते हो बैरन बांसुरिया की तान
इस बांसुरिया को अधरामृत पिलाते हो
और हम पगली विरहन को
क्यों तुम चरणों से भी ना लगाते हो
क्यों हमे दरस देने में मोहन इतना संकुचाते हो
हम तुम्हे दिन रात याद करते रहते हैं
हर पल हर बात तुम्ही से कहते हैं
तुम्हारे ही बन बैठे हैं
आ जाओ ना मोहन
ना हमे इतना तरसाओ मोहन
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