Friday 10 July, 2009

कहा जा छिपे हो मोहन



कहा जा छिपे हो मोहन
क्यों कर रहे हो हमसे इतनी रुसवाई
क्या तुम्हे हमारी हालत पे दया नही आई
कब तक करवाओगे तुम इंतज़ार
कब तक इतना तडपाओगे मेरी सरकार
सच कह रही हूँ मोहन आ जाओ इक बार
अब कटता नही हैं तेरे बिन मेरा दिन-रात
मोहन हर श्वास के साथ आते हो तुम याद
तुम चाहे जितनी भी करो रुसवाई
मगर हमे यह यकीन हैं
एक रोज़ तुम आओगे
प्राण प्रीतम दरस अपने तुम दिखोगे
हमे अपने संग ही ले जाओगे
हमे चरणों से अपने लगाओगे
हां मोहन हमे हैं यकीन
के सच में एक रोज़ तुम आओगे
अपना साकार रूप के दर्शन करवाओगे

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