Saturday 25 July, 2009
बुलाओ वृन्दावन में
काहे श्याम तुम मोसे रूठे?
का हैं अपराध हमारा?
बोलो यूँ चुप न बेठो
कुछ तो करो हमसे बात
नहीं सही जाती अब यह पीरा
हाय रे मोहन हरो मोरी पीरा
दिखाओ दर्शन अपने
बुलाओ वृन्दावन में
बसाओ वृन्दावन में
मेरा रोम रोम वृन्दावन बना दो
मोहे श्याम अपने संग बुला लो
कृपा करो नाथ!
दया का रख दो मेरे सिर पे हाथ
दरस बिन प्यासा रोम रोम हैं
पुकारता तुझे रोम रोम हैं
आजाओ नाथ!मेरी सरकार
कृपा अपनी बरसो
दर्शन प्यासी को दर्शन दिखाओ
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