Friday 24 July, 2009

आता नही समझ में कुछ भी



आता नहीं समझ में कुछ भी
तुझे कैसे मैं रिझाऊ?
तुझे कैसे मैं मनाऊ?
कैसे करू गुणगान तेरा
कैसे करू दीदार तेरा
मैं तेरी गुलाम रसिया
सुनादे रसीली तान रसिया
रसराज प्यारे,नन्द दुलारे,बृज कुँवर हमारे
आता नहीं समझ में कुछ भी
तुझे कैसे मैं रिझाऊ?
तुझे कैसे मैं मनाऊ?
लाखो तेरे दीवाने
सब दर पे आ तेरे
मोहन तुमको पुकारें
सुन ले करूँ पुकार हमारी
दिखला दे छवि प्यारी
प्यारी प्यारी न्यारी न्यारी
आता नहीं समझ में कुछ भी
वृन्दावन तू मोहे बुला ले
अपने चरणों से लगा ले

No comments: