Friday 24 July, 2009

अलफाज नही



उसकी शोभा का वर्णन करूँ कैसे
यह दिल जो उसे दे रखा हैं
वंशी वो बजाता हैं
चित हमारा खो जाता हैं
उसके मतवाले नैनो की
शोभा के लिए अलफाज नही
सुरीली बांसुरी के सिवा लगता हैं
जैसे कोई और साज ही नही
उसकी शोभा का वर्णन करूँ कैसे
उसके लिए मेरे पास अलफाज नहीं

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