Thursday 2 July, 2009

मोहन मिलन की मंशा



बस एक मोहन के मिलन की चाह हैं मन में समाई
इसीलिए करती हूँ राधे रानी मैं विनय पुकार,
मुझे मेरे सनम बाँके बिहारी से मिला दो इक बार
इक बार जो होगा उनका दरस,
तो सच कहते हैं हम
के नैनो में समा लेंगे
नैनो में उन्हें समा
हम अपनी पलकें झुका लेंगे
नैनो के रास्ते उन्हे हम
रोम रोम में बसा लेंगे
मेरा रोम रोम गायेगा उनका नाम
उनकी मुरली की तान पे
पागल हो झूमेगा सारा संसार
आ जाओ मेरे सनम कृष्णा मुरार
बाँके बिहारी मेरे नन्द लाल

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