Sunday 26 July, 2009
तुम बिन श्याम!
मेरे बाँके बिहारी मेरे सनम
मैं चाहू करना एक ही करम
हर समय तुमको ध्याऊ
तेरे चरणों में सर को झुकाऊ
मैं तो करना चाहू तुमसे हर बात
तुम्ही हो बंधू,सखा,मम् प्राण
तुम बिन अधूरी हैं हर बात
चाहे तुम देते हो हृदय को घात
पर मुझे तुम्ही लगते हो अच्छे मेरे नाथ
तुम बिन सूना हैं जीवन
सूनी हैं मेरी हर बात
तेरे इस दर्द का भी हमे
प्रिये हैं सुन्दर एहसास
इस एहसास को संग लिए
हम जिए जा रहे हैं
तेरा नाम रस ले पिए जा रहे हैं
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