Saturday 11 July, 2009
हद हो चुकी हैं श्याम
हद हो चुकी हैं श्याम अब चले आओ
हे माधव! अब हमे इतना ना तरसाओ
जो भी गिला शिकवा हो तुम्हे
अब उसे दूर करो,करो पूरी अब मेरी आस
मैं आई आनंदकंद तेरे द्वार
बनवारी पकड़ लो मेरा हाथ
दे दो दरस हमे दीनबंदु दीनानाथ
करूं मैं विनती तुमसे
जोड़ कर दोनों हाथ
हद हो चुकी हैं श्याम अब चले आओ
हे मोहन! चरणों से अपने लगाओ
हुई कोई भूल हैं गर मुझसे श्याम
तो क्षमा करदो मेरे नाथ
मगर यूँ तो न हमे सताओ
मोहन करू विनती तुमसे
सदा सदा के लिए मेरी यादों में बस जाओ
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